"सुप्रभात" रात आई और सुबह हुई


 "सुप्रभात" (भविष्यवाणी)

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रात आई और सुबह हुई

बिस्तर छोड़ दो और सुबह उठो।

माता-पिता, चलो चलते हैं

उनके चरणों को पाने के लिए रेणु।

माता संतुष्ट होंगी

आइए उसकी पूजा करें।

हमेशा चार पैरों को देखें

वह अपने हँसिया शरीर पर सदैव चलता है।

चाहे बारिश हो या धूप, सर्दी हो या ओस

क्या उसका कोई इलाज है?

बारिश में गीले दिन

खारा ताती खुद को पाता है।

सेहू कड़ाके की ठंड में कांप रहा है

कौन नहीं कहता कि संतरा दो?

उसके शब्दों के बारे में सोचो

जब मैंने इसके बारे में सोचा तो दर्द मेरे दिमाग में आया।

कितने ग़म, कितने दर्द सहे

वे अभी भी जीवित हैं।

उस आदमी के घर में

उसका शरीर टूट गया है।

डॉक्टर के लिए कौन या क्या नया है?

मनुष्य अपना स्वार्थ जानता है।

जीवन अराजकता में है

क्या भगवान जानता है?

ईश्वर उनके विचारों को जानता है

वह ठीक हो गया है।

इंसानियत थोड़ी संकट में है भाई

जानवरों को देखो और दयालु बनो।

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