"सुप्रभात" (विधेय) | good morning poem
"सुप्रभात" (विधेय)
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सुप्रभात शुभकामनाएं
घनाक के भाई और बहन
सुबह हो चुकी है और माता-पिता चल रहे हैं
यह झुकने का समय है।
आज के बाद जान लीजिए कि मंगलवार है
मां मरसा की पूजा
आज अच्छा दिन होगा
मां का आशीर्वाद लें।
पूरा दिन यूं ही चलता रहता है
पैसे के पीछे भागो
आप अपने स्वार्थ के बाद जी रहे हैं
वह सब कुछ अपना समझता था।
भगवान के चरणों में विश्राम होगा
आपके पास समय नहीं है
माता-पिता का कहना कम है
जानते हुए भी समझ नहीं आता!!!
समय गुज़र जाता है
यह ऐसे ही चलता रहेगा
कभी-कभी अंत समय
आओ और दरवाजा खटखटाओ।
तुम इंसान बन गए हो, तुम इंसान बन जाओगे
खट्टा विवेक
आपका कर्तव्य क्या है?
वह काम करो।
पानी फूटा, जीवन का साथी
यह कब फटेगा?
हम अपना समय नहीं जानते
असिन पहुंचेगी।
आगे बढ़ो मेरे दोस्त
थोड़ी खट्टी चेतना
ईश्वर विश्वास से नेतृत्व करेगा
जीवित देवताओं को देखो।
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