दिल को जानो ,जय श्रीजगन्नाथ




ओह ग्लासी फॉल

केले उड़ जाते हैं

गिरने का दुख दुख भरा है

धरा सुंदर है

प्रसन्न मन कहता है,

हे श्रीमान, आनंद के सागर के प्रभु में

मन आपके साथ रहता है।


सुधार योग्य त्रुटियों के माध्यम से दिव्य दृष्टि

बेचैनी दूर होगी

लक्ष्मी जो शाश्वत शांति बहाती हैं

हृदय में भक्ति रखो

आप जैसा कोई भी नहीं है।

हेसागर प्रेम प्रभु चक्रधर

मुझे प्यार में रखो।


तुम खुश हो जाओगे

आत्मा को वसीयत में रखना

सुख, शांति, प्रेम तो और भी अद्भुत है

चूड़ादेव ने चौंक कर देखा

फिर बड़ा बोलो

संसार तृप्त होगा

सोचो तुम इसे रखोगे।

No comments

Powered by Blogger.